करोड़ों रुपए के गोदाम निर्माण का ठेका देने में थी चारों अधिकारीयों की संदिग्ध भूमिका का विभागीय जांच में हुआ खुलासा
विक्रम सिंह ठाकुर/बिलासपुर। 4 Scammers Of State Housing Corporation : सीएम विष्णुदेव सरकार के जीरो टारलैंस का संकल्प झुठलाने में आमादा हैं स्टेट हाउसिंग कारपोरेशन। करोड़ों रुपए के गोदाम निर्माण का ठेका देने में थी चारों अधिकारियों की संदिग्ध भूमिका का विभागीय जांच में खुलासा होने के बाद भी सभी अपने पद पर बने हुए हैं। सदन में मामला उठने के बाद भी 1 साल से जमे हैं 4 दोषी अफसर।
मजे की बात यह कि बीजेपी के विधायकों ने भूपेश सरकार के कार्यकाल के दौरान हुए गोदाम निर्माण में घोटाले का मुद्दा सदन में बाबुलंद आवाज़ में उठाया था। विभागीय जांच भी संयुक्त संचालक वित्त के नेतृत्व में सालभर पहले की गई।
जांच में छत्तीसगढ़ स्टेट वेयर हाउसिंग कारपोरेशन के चार अधिकारी सहायक अभियंता ताराचंद गबेल ,अवधेश कुमार गुप्ता प्रबंधक लेखा एवं उपसंचालक मनोज सिंह ,प्रबंधक वाणिज्य मोहम्मद आगा हुसैन जो वेयरहाउस कमेटी द्वारा निविदा के संबंध में बनाई गई टेक्निकल कमेटी में शामिल थे, के द्वारा अपात्र ठेकेदार को पात्र बनाते हए करोड़ों रुपए का गोदाम निर्माण का ठेका देने में अहम भूमिका मणि गई थी। जांच अधिकारीयों ने पुरे मामले में एफआईआर करवाने की भी अनुशंसा की लेकिन, दोषी अफसरों पर मामला दर्ज होना तो दूर उन्हें पदमुक्त भी नहीं किया गया है।
मामला छग वेयर हाउसिंग कारपोरेशन का है जिसमे करोड़ों रुपए के गोदाम निर्माण का ठेका देने में चार अधिकारियों की भूमिका जांच में स्पष्ट तौर पर संदिग्ध पाई गई है तथा कदा चरण का दोषी पाया गया है। जांच रिपोर्ट में विभागीय जांच के साथ ही गहन पुलिस अन्वेषण की अनुशंसा की गई है लेकिन लगता है इन दागी चारो अफसरों को कोई बचाने में जुट हुआ है तभी तो किसी भी प्रकार की कोई कारवाई नही हो पा रही है । इन चारो अफसरों को चुनाव आयोग की भी कोई परवाह नही है और वर्षो से एक ही स्थान पर पदस्थ है।
क्या है मामला और कौन है ये अफसर
छत्तीसगढ़ स्टेट वेयर हाउसिंग कारपोरेशन के चार अधिकारी सहायक अभियंता ताराचंद गबेल ,अवधेश कुमार गुप्ता प्रबंधक लेखा एवं उपसंचालक मनोज सिंह ,प्रबंधक वाणिज्य मोहम्मद आगा हुसैन जो वेयरहाउस कमेटी द्वारा निविदा के संबंध में बनाई गई टेक्निकल कमेटी में शामिल थे, के द्वारा अपात्र ठेकेदार को पात्र बनाते हए करोड़ों रुपए का गोदाम निर्माण का ठेका देने में अहम भूमिका निभाई। यो कहें कि इन चारो अफसरों की अनुशंसा पर ही बिलासपुर के ठेकेदार को जैजैपुर और सारागांव में गोदाम निर्माण का ठेका दे दिया गया।
विभाग के संयुक्त संचालक और जांच अधिकारी ने जांच रिपोर्ट में स्पष्ट कहा है कि निविदा जमा करने मात्र 15 दिन का समय दिया गया जबकि छग शासन भंडार क्रय नियम के अंतर्गत नियम 4.5 के अनुसार उक्त प्रकरण में (कार्य की अनुमानित लागत रु 13.45 करोड़) 30 दिन का समय सीमा अनिवार्य है।निर्धारित समय सीमा से कम अवधि निविदा जमा करने हेतु विज्ञापित करना इस बात घ्योतक है कि जानबूझकर एवम षणयंत्र पूर्वक अधिसंख्य ठेकेदारों/फर्म्स की भागीदारी को रोका गया जिससे प्रतिस्पर्धी दरें प्राप्त नहीं हो सकी।निविदा नियमो का उल्लघंन होने से सम्पूर्ण निविदा प्रक्रिया दूषित है तथा समिति द्वारा अनुसंशित दरों पर भुगतान की पात्रता नही है।
जांच में निविदा समिति ने बरती गड़बड़ियां
प्रकरण की जांच में पाया गया है कि निविदा समिति के सभी सदस्य ने लोकसेवक होते हुए लोक कर्तव्यों के निर्वहन में षणयंत्र पूर्वक पद का दुरुपयोग कर अपात्र ठेकेदार को राशि रु 12.75 करोड़ का अनियमित लाभ पहुंचा दिए। जिसके लिए निविदा समिति के सभी सदस्य अनुपातिक रूप से उत्तरदायी हैं। निविदा समिति का उपरोक्त कृत्य सिविल सेवा आचरण नियम 1965 के नियम 3 के अंतर्गत कदाचरण की श्रेणी में आता है।
निविदा की कार्रवाई दोषपूर्ण होने से निर्माण कार्य की दरें भुगतान हेतु मान्य नहीं है। जांच अधिकारी ने गंभीर अनियमितता की शिकायत सहीं पाया। इसके बाद गठित विभागीय जांच समिति ने इन गड़बड़ियों के खिलाफ पुलिस को मामला दर्ज करने का निर्देश दिया था। लेकिन विभाग के भ्रष्ट अधिकारीयों के रसूख से पुलिस ने अब तक एफआईआर दर्ज नहीं किया है। विभाग के संयुक्त संचालक वित्त के नेतृत्व में गठित जांच टीम भी अब कार्रवाई को लेकर उदासीन बानी हुई है।
दोषी अफसरों को बक्शा नहीं जायेगा
अभी-अभी मैं छत्तीसगढ़ वेयर हाऊस कारर्पोरेशन विभाग का प्रभार लिया हूं। पहले पूरे मामले की जानकारी लेकर दोषियों के खिलाफ नियमानुसार कार्यवाही करूंगा। अगर विभाग के कार्यों को नियम-शर्तों की अनदेखी करके अपात्र को कार्य सौंपा गया है तो दोषी अफसर बक्शे नहीं जायेंगे।
के डी कुंजाम एमडी, छत्तीसगढ़ वेयर हाऊस कारर्पोरेशन