Navpradesh

2nd Democracy Summit : द्वितीय लोकतंत्र शिखर सम्मेलन का आगाज़

2nd Democracy Summit: Beginning of the Second Democracy Summit

2nd Democracy Summit

किशन भावनानी। 2nd Democracy Summit : वैश्विक स्तरपर सर्वविदित है कि भारत दुनिया का सबसे बड़ा, मज़बूत और अद्वितीय योगदान देने वाला अभूतपूर्व यशस्वी लोकतंत्र है,जिसकी खुशबू पूरी दुनिया भी महसूस कर रही है, इसके बावजूद कुछ अंतरराष्ट्रीय एजेंसियों की रिपोर्ट जैसे वी-डैम डेमोक्रेसी रिपोर्ट 2023 में भारत को ईडीआई में 108 वीं रैंकिंग और सीडीआई में 96 वीं रैंक दी गई है। उसी तरह आईडीईए की ग्लोबल वॉइस आफ डेमोक्रेसी 2022 में प्रतिकूल रैन्किंग दी गई है जिससे भारत की वैश्विक डेमोक्रेटिक स्थिति पर सवालिया निशान लगाया जाता है यहां तक कि आज दिनांक 30 मार्च 2023 तक भी हम प्रिंट व इलेक्ट्रॉनिक मीडिया में भारतीय विपक्षी पार्टियों व अन्य नेताओं के बयान सुनाइए दे रहें है कि भारतीय लोकतंत्र खतरे में है, भारतीय संविधान और संवैधानिक एजेंसियां खतरे में है, उनका दुरुपयोग हो रहा है इत्यादि बयानों का प्रतिकूल प्रभाव वैश्विक स्तरपर पडऩे की संभावना से इनकार नहीं किया जा सकता।

इसलिए भारत के पास 29-30 मार्च 2023 जो सह सहयोगी यूएस और उसके मेजबानी में आयोजित द्वितीय लोकसभा शिखर सम्मेलन मंच में भारतीय लोकतंत्र का माननीय पीएम ने अपने संबोधन से वर्णन बताकर भारतीय लोकतंत्र का स्वयं आगाज़ किया। इसलिए आज हम मीडिया में उपलब्ध जानकारी के सहयोग से इस आर्टिकल के माध्यम से चर्चा करेंगे कि भारत के पास मज़बूत लोकतंत्र के निर्माण में ठोस योजनाओंं अद्वितीय रिकॉर्ड बताने का लोकतंत्र शिखर सम्मेलन सटीक मंच है।

साथियों बात अगर हम दिनांक 29 मार्च 2023 को माननीय पीएम द्वारा इस सम्मेलन में संबोधन की करें तो, उन्होंने कहा कि भारत वास्तव में लोकतंत्र की जननी है। लोकतंत्र सिर्फ एक ढांचा नहीं है, यह एक आत्मा भी है। यह इस विश्वास पर आधारित है कि हर इंसान की जरूरतें और आकांक्षाएं समान रूप से महत्वपूर्ण हैं। भारत में हमारा मार्गदर्शक दर्शन सबका साथ, सबका विकासÓ है – जिसका अर्थ है समावेशी विकास के लिए एक साथ काम करनाÓ। भारत आज अनेक वैश्विक चुनौतियों के बावजूद सबसे तेजी से बढ़ती अर्थव्यवस्था है। यह स्वयं विश्व में लोकतंत्र के लिए सबसे अच्छा उदाहरण है।

प्राचीन भारत में शेष विश्व से बहुत पहले निर्वाचित नेताओं का विचार सामान्य विशेषता थी। हमारे प्राचीन महाकाव्य महाभारत में नागरिकों का प्रथम कर्तव्य अपने नेता को चुनने के रूप में वर्णित किया गया है।हमारे पवित्र वेदों में, व्यापक-आधार वाले परामर्श निकायों द्वारा राजनीतिक शक्ति का उपयोग किए जाने की बात कही गई है। प्राचीन भारत में गणतंत्र राज्यों के कई ऐतिहासिक संदर्भ भी हैं, जहां वंशानुगत शासक नहीं थे। भारत वास्तव में लोकतंत्र की जननी है।लोकतंत्र केवल एक संरचना नहीं है, बल्कि यह एक आत्मा भी है। यह इस मत पर आधारित है कि प्रत्येक मनुष्य की आवश्यकताएं और आकांक्षाएं समान रूप से महत्वपूर्ण हैं। इसलिए, जीवन शैली में परिवर्तन के माध्यम से जलवायु परिवर्तन से लडऩे का हमारा प्रयास हो, वितरित भंडारण के माध्यम से जल संरक्षण करना हो या सभी को स्वच्छ रसोई ईंधन देना हो, हर पहल भारत के नागरिकों के सामूहिक प्रयासों से संचालित होती है।

सम्मेलन का मकसद लोकतंत्र को अधिक जवाबदेह और लचीला बनाना तथा वैश्विक लोकतांत्रिक प्रणाली को नया रूप देने के लिए साझेदारी का वातावरण तैयार करना है। सम्मेलन में मुख्य तीन बिन्दुओं पर विचार-विमर्श हुआ। ये हैं- लोकतंत्र को मजबूत करना और अधिनायकवाद से बचाना, भ्रष्टाचार के विरुद्ध लड़ाई तथा मानवाधिकारों के प्रति सम्मान। उन्होंने कहा कि चाहे जीवनशैली में बदलाव के माध्यम से जलवायु परिवर्तन से लडऩे का भारत का प्रयास हो, वितरित भंडारण के माध्यम से जल संरक्षण हो या सभी को स्वच्छ खाना पकाने का ईंधन प्रदान करना हो, हर पहल यहां के नागरिकों के सामूहिक प्रयासों से संचालित होती है। कोविड-19महामारी के दौरान भारत की प्रतिक्रिया लोगों द्वारा संचालित थी।

देश की टीका मैत्री पहल वसुधेव कुटुम्बकम के मंत्र से भी निर्देशित है, जिसका अर्थ है एक धरती, एक परिवार और एक भविष्यÓ। समिट फॉर डेमोक्रेसी, 2023Ó को डिजिटल माध्यम से संबोधित करते हुए कहा कि उनकी सरकार की हर पहल भारत के नागरिकों के सामूहिक प्रयासों से संचालित होती है। लोकतंत्र शिखर सम्मेलन के दूसरे संस्करण की सह-मेजबानी अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन, कोस्टा रिका के राष्ट्रपति रोड्रिगो चावेस रॉबल्स, जाम्बिया के राष्ट्रपति हाकाइंडे हिचिलेमा, नीदरलैंड के पीएम मार्क रूट और दक्षिण कोरिया के राष्ट्रपति यून सुक योल ने की। सम्मेलन का आयोजन दक्षिण कोरिया के राष्ट्रपति यून-सुक-योल ने किया था। इससे पहले पीएम ने विपक्ष के आरोपों पर कहा था कि जब दुनिया के बुद्धिजीवी हमारे देश को लेकर आशावादी हैं, तो इस बीच देश को खराब रोशनी में दिखाने और मनोबल को ठेस पहुंचाने की बातें भी हो रही हैं।

दुनिया को भारत ने दिखा दिया है कि लोकतंत्र नतीजे दे सकता है।हमारे लोकतंत्र की सफलता से कुछ लोग परेशान हो रहे हैं। इसी वजह से लोकतंत्र पर हमले किए जा रहे हैं, लेकिन इसके बावजूद भारत आगे बढ़ता रहेगा। इस दौरान वैश्विक नेता निजी तौर पर या फिर वर्चुअली तरीके से जुड़ रहे हैं। इस सम्मेलन का उद्देश्य लोकतंत्र को अधिक जवाबदेह और लचीला बनाना है।
साथियों बात अगर हम इस शिखर सम्मेलन को भारत के लिए महत्वपूर्ण कड़ी की करें तो, चूंकि भारत दुनिया का सबसे बड़ा और सबसे ज़्यादा आबादी वाला लोकतांत्रिक देश है और साम्राज्यवाद के बाद के दौर के सभी देशों में से भारत के पास लोकतांत्रिक प्रक्रिया का बहुत समृद्ध और विविधता भरा तजुर्बा रहा है, ऐसे में माना यही जाता है कि तानाशाही विस्तारवादी मुल्क के ख़िलाफ़ वैश्विक मोर्चेबंदी की अगुवाई लिहाज़ से भारत सबसे अहम देश है।

फिर भी इस शिखर सम्मेलन में लोकतंत्र पर अपने कमज़ोर घरेलू रिकॉर्ड को लेकर भारत को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर तुर्श निगाहों का सामना करना पड़ सकता है क्योंकि फ्रीडम हाउस ने 2022 की अपनी रिपोर्ट में भारत को केवल आंशिक रूप से स्वतंत्र कहा था। वहीं, वी-डेम ने एक क़दम और आगे जाकर भारत को ‘चुनावी तानाशाहीÓ कऱार दे दिया था। और अब अपनी 2023 की रिपोर्ट में ईडीआई पर 108 वीं रैंक और सीडीआई में 97 वी रैंक दी है। इंटरनेशनल आईडीईए की सबसे ताज़ा रिपोर्ट ग्लोबल स्टेट ऑफ़ डेमोक्रेसी 2022 में भी उन देशों में शुमार किया गया था, जहां लोकतंत्र सबसे तेज़ी से कमज़ोर हो रहा है.

जहां पर लोकतंत्र का सबसे घातक और जान-बूझकर अवमूल्यन हो रहा है. हालांकि, ऐसे देशों में भारत अकेला नहीं है. इसी रिपोर्ट में दुनिया के सबसे स्थापित लोकतांत्रिक देशों में लोकतांत्रिक अवमूल्यन की चिंताजनक तस्वीर पेश की गई थी। इत्तिफ़ाक़ से आईडीईए ने लोकतंत्र पर शिखर सम्मेलन के मेज़बान अमेरिका को भी लोकतांत्रिक अवमूल्यन के शिकार देशों की सूची में रखा था। संगठन का कहना है कि,अमेरिका के लोकतांत्रिक प्रतिष्ठानों में साफ़ तौर पर गिरावट दर्ज की जा रही है।

इसमें 2019 से नागरिकों के अधिकारों और सरकार परअंकुश में लगातार कमी आ रही है। इसके अलावा, 2020 की गर्मियों में हुए विरोध प्रदर्शन के दौरान किसी संस्था या व्यक्ति से जुडऩे और इक_े होकर विरोध प्रदर्शन करने की आज़ादी में भी कमी आई है। अमेरिका में लोकतांत्रिक मूल्यों के लगातार हो रहे अवमूल्यन का सबसे बड़ा सबूत 6 जनवरी 2021 को अमेरिकी संसद भवन पर हिंसक चढ़ाई के रूप में देखने को मिला था। अब अगर अपने देश में लोकतांत्रिक मूल्यों के ऐसे पतन के बावजूद, जब अमेरिका के राष्ट्रपति जो बाइडेन लोकतंत्र पर शिखर सम्मेलन आयोजित कर सकते हैं, तो भारत फिर क्यों पीछे हटें और शिखर सम्मेलन में ख़ुद को आलोचना का शिकार होने दे इसके उलट, दुनिया के सबसे बड़े लोकतंत्र के रूप में भारत के पास एक अच्छा मौक़ा है कि वो लोकतंत्र के निर्माण में अपने उन ठोस योगदानों के बारे में बताए, जिन्हें अब तक दुनिया में बहुत ज़्यादा अहमियत नहीं मिली है।

जैसा कि बहुत से विश्लेषक पहले ही कह चुके हैं कि इस शिखर सम्मेलन के रूप में भारत के पास एक ऐसा मौक़ा है, जिसमें वो दुनिया की सबसे लंबी चुनावी प्रक्रिया चलाने के अद्वितीय रिकॉर्ड के बारे में सबको बताए- जिस में कऱीब 100 करोड़ से ज़्यादा मतदाता शामिल होते हैंऔर जहां चुनाव को इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीनों की मदद से बहुत आसानी से निपटाया जाता है।

अत: अगर हम उपरोक्त पूरे विवरण का अध्ययन करउसका विश्लेषण करें तो हम पाएंगे कि द्वितीय लोकतंत्र शिखर सम्मेलन 29-30 मार्च 2023 का आगाज़। लोकतंत्र को अधिनायकवाद और भ्रष्टाचार से बचाकरमानवाधिकार के प्रति सम्मान से अधिक मज़बूती मिलेगी। भारत के पास मज़बूत लोकतंत्र के निर्माण में ठोस योजनाओं का अद्वितीय रिकॉर्ड बताने का लोकतंत्र शिखर सम्मेलन सटीक मंच है।

Exit mobile version