रायपुर/नवप्रदेश। देशभर में चिकित्सकों और चिकित्सा कर्मियों के प्रति बढ़ती जा रही हिंसक वारदातों का विरोध करने के लिए आज इंडियन मेडिकल एसोसिएशन की राष्ट्रीय इकाई ने राष्ट्रीय स्तर पर विरोध दिवस के रुप में मनाया।
सभी चिकित्सकों और चिकित्सा कर्मियों ने अपने अपने अस्पतालों और क्लीनिक पर काले मास्क पहनकर तथा काली पट्टी लगाकर काम किया। कुछ जगहों पर काले झंडे भी लगाए गए। बैनर और पोस्टर के जरिए जनता के सामने अपनी पीड़ा रखी गई।
इसी परिप्रेक्ष्य में इंडियन मेडिकल एसोसिएशन रायपुर के सदस्य पंडित जवाहरलाल नेहरू मेडिकल कॉलेज में एकत्र हुए, जहां उन्होंने इन पीड़ादायक घटनाओं के प्रति अपना विरोध दर्ज कराया। साथ ही यह मांग की कि, पूरे देश में एक केंद्रीय कानून बनाया जाए जो चिकित्सकों और उनके संस्थानों को सुरक्षा प्रदान करें और ऐसे किसी भी व्यक्ति को जो चिकित्सकों तथा चिकित्सा कर्मियों को शारीरिक अथवा मानसिक रूप से हानि पहुंचाते हैं, उन्हें कड़ी से कड़ी सजा का प्रावधान रहे और यह अपराध गैर जमानती रहे। चिकित्सा संस्थानों में पर्याप्त सुरक्षा व्यवस्था प्रदान की जाए।
जिन चिकित्सकों और चिकित्सा कर्मियों ने कोविड महामारी के दौरान लोगों का इलाज करते हुए अपने प्राण गवाएं, उन्हें केंद्र सरकार शहीद का दर्जा दे और जो सुविधाएं एक शहीद के परिवार को दी जाती हैं, वह उन चिकित्सकों और उन चिकित्सा कर्मियों के परिवारों को दी जाएं। यदि समय रहते सरकार ने सख्त कदम नहीं उठाए तो हो सकता है भविष्य में असुरक्षा की भावना के चलते लोग चिकित्सा के क्षेत्र में ना आना चाहें तथा हमलों के डर से चिकित्सक आपातकालीन स्थिति में मरीजों का इलाज करने से बचें।
दोनों ही स्थितियों में नुकसान समाज और देश का होगा और जब समाज अस्वस्थ होगा तो, देश भी अस्वस्थ ही होगा। हम सभी चिकित्सक और चिकित्सा कर्मी समाज का ही हिस्सा है। समाज के होनहार बच्चे ही चिकित्सा क्षेत्र में कदम रखते हैं। हमारी सभी से विनम्र प्रार्थना है कि इस बात को सभी लोग समझें कि चिकित्सक भी इंसान हैं और उनके भी परिवार हैं। वे भगवान नहीं हैं। वे हर मरीज का इलाज उनकी जान बचाने के लिए ही करते हैं। किसी से उनकी कोई व्यक्तिगत दुश्मनी नहीं होती। वे सिर्फ कोशिश कर सकते हैं, जान बचाने की गारंटी नहीं दे सकते। इस बात को आम जनता को भी समझना पड़ेगा और सरकार को भी समझना पड़ेगा और ऐसे समय में जरूरी है कि जनता भी चिकित्सकों का साथ दे और उनके समर्थन में सामने आए ताकि ऐसे असामाजिक तत्व जो चिकित्सकों और चिकित्सा संस्थानों पर हमले करते हैं, वह इस तरह की हरकतें करने से घबराएं।