भोपाल। लोकसभा चुनाव में कांग्रेस के बेहद खराब प्रदर्शन के बाद मध्य प्रदेश में सियासत गरमाई हुई है। सरकार गिरने की अटकलों के बीच मुख्यमंत्री कमलनाथ ने सभी मंत्रियों को सावधान रहने के निर्देश दिए हैं। कमलनाथ ने सभी मंत्रियों को दो टूक कहा कि हमें विपक्ष की साजिशों को नाकाम करना है। उन्होंने कहा कि किसी भी तरह के बिखराव की बातों का सब मिलकर खंडन करें और सभी एकजुटता दिखाएं, यह विपक्ष को भी नजर आना चाहिए।
कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष पद से इस्तीफे को लेकर मुख्यमंत्री कमलनाथ ने कहा कि उन पर काफी भार बढ़ गया था। इस दौरान उन्होंने राहुल गांधी के पुत्र मोह वाले बयान पर भी अपनी प्रतिक्रिया दी। कमलनाथ ने कहा कि उन्होंने ऐसा कहा ही नहीं है। वहीं कैबिनेट मंत्री आरिफ अकील ने कहा कि कमलनाथ सरकार 5 साल तक चलेगी। अकील ने कहा कि हम कई बार बहुमत सिद्ध कर चुके हैं और आगे भी तैयार हैं। इसके साथ ही उन्होंने कहा कि कांग्रेस में बदलाव संगठन तय करेगा।
लोकसभा चुनाव में हार के बाद पहली बार सीएम कमलनाथ ने मंत्रियों के साथ करीब डेढ़ घंटे तक बैठक की। चुनाव में राज्य की 29 में से 28 लोकसभा सीटों पर बीजेपी ने जीत हासिल की थी। वहीं, कांग्रेस सिर्फ एक सीट पर सिमट गई थी। सीएम कमलनाथ के बेटे छिंदवाड़ा से जीते थे। इस बार ज्योतिरादित्य सिंधिया को अपने पारंपरिक संसदीय क्षेत्र गुना में शिकस्त झेलनी पड़ी।
एमपी विधानसभा का गणित
मध्य प्रदेश विधानसभा में कुल 230 सीटें हैं। 2018 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी थी और उसने 114 सीटों पर जीत हासिल की थी। चुनाव के बाद 4 निर्दलीय, बीएसपी के दो और समाजवादी पार्टी (एसपी) के 1 विधायक के समर्थन की बदौलत कांग्रेस ने बहुमत का आंकड़ा पार कर लिया था। फिलहाल कमलनाथ सरकार के पास कुल 121 विधायकों का समर्थन है, जो बहुमत से 5 ज्यादा है।
दूसरी ओर बीजेपी के पास 109 विधायक हैं। कमलनाथ की सरकार उसी सूरत में गिर सकती है, जब बीजेपी को कम से कम 7 और विधायकों का समर्थन हासिल हो। एमपी विधानसभा में नेता विपक्ष गोपाल भार्गव ने लोकसभा चुनाव के नतीजे आने से पहले राज्यपाल को खत लिखकर कमलनाथ सरकार के अल्पमत में होने का दावा किया था। उन्होंने विशेष सत्र बुलाने की मांग करते हुए कहा था कि राज्य में कांग्रेस की सरकार अपनेआप गिर जाएगी।