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महिलाओं के मान-सम्मान से ही होती है हमारी सभ्यता एवं संस्कृति की पहचान: सीएम बघेल

Our civilization and culture is recognized by the respect and respect of women, CM Baghel,

cm bhupesh baghel lokvani

-मुख्यमंत्री ने ‘छत्तीसगढ़ सरकार-नारी शक्ति के सरोकार’ विषय पर की बात

रायपुर/नवप्रदेश। मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने आकाशवाणी (cm bhupesh baghel lokvani) से आज प्रसारित रेडियोवार्ता लोकवाणी की 27वीं कड़ी में छत्तीसगढ़ सरकार-नारी शक्ति के सरोकार’ विषय पर चर्चा करते हुए कहा कि महिलाओं के मान सम्मान से ही हमारी सभ्यता और संस्कृति की पहचान होती है।

इसे हम सभी को गहराई से समझना चाहिए। उन्होंने कहा कि नारी का सम्मान करने वाला समाज ही संस्कारी समाज होता है। छत्तीसगढ़ में महिलाओं को भरपूर सम्मान दिया जा रहा है। यही वजह है कि छत्तीसगढ़ की महिलाएं और बेटियां अब बड़े लक्ष्य लेकर निकल पड़ी है, जिसे आगे बढऩे से अब कोई रोक नहीं सकता।

मुख्यमंत्री बघेल (cm bhupesh baghel lokvani) ने कहा कि छत्तीसगढ़ राज्य के गठन को हम एक ऐतिहासिक घटना मानते हैं। हमारे पुरखों के मन में अपने राज्य की एक मुकम्मल तस्वीर थी। सदियों से छत्तीसगढ़ एक लोक प्रदेश रहा है। यहां की परंपरा, पर्व-त्यौहार, संस्कृति के विभिन्न रंगों में, अपने संसाधनों के प्रति आदर भाव में, अपने स्वाभिमान और अस्मिता के स्वभाव में, जो अपनी जननी के प्रति आस्था और श्रद्धा रही है, वही आस्था अपनी धरती के प्रति भी रही है ।

हमने अपनी विरासत से जो सीखा है, वंदे मातरम के गान से हमने जो सीखा है, उसे अपने प्रदेश में उतारने की प्रबल इच्छा रही है। सौभाग्य से हमें यह अवसर मिला और सरकार बनने के बाद हमने जब इसके लिए उपयुक्त गीत की खोज की तो आचार्य डॉ. नरेन्द्र देव वर्मा का छत्तीसगढ़ी में लिखा यह गीत विचार में आया।

‘अरपा पइरी के धार महानदी हे अपार, इन्द्रावती ह पखारय तोर पईंया। महूं पांव परंव तोर भुइंया, जय हो-जय हो छत्तीसगढ़ मइया’ इस गीत में हमें छत्तीसगढ़ महतारी की सम्पूर्ण छवि दिखती है। हम इसी मातृभाव के साथ छत्तीसगढ़ की सेवा करना चाहते हैं। इसलिए इस गीत को छत्तीसगढ़ का राज्य गीत बनाया गया है।

मुख्यमंत्री श्री बघेल ने कहा कि हमारे पुरखों की वजह से हमें ऐसा संविधान मिला है, जिसमें महिलाओं को बराबरी का दर्जा दिया गया है। हमारे संस्कार और प्रयासों का ही नतीजा है कि छत्तीसगढ़ विधानसभा में महिलाओं का प्रतिशत, देश की अन्य विधानसभाओं की तुलना में सबसे अधिक है। पंचायती राज संस्थाओं के चुनाव में भी महिलाओं के लिए 50 प्रतिशत आरक्षण का प्रावधान है। भूमि और संपत्ति पर कानून के अनुसार महिलाओं को समान स्वामित्व और नियंत्रण का अधिकार है।

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