Exclusive: भूपेश सरकार में मांग लंबित, कमलनाथ सरकार ने खुद मंगाया प्रस्ताव |

Exclusive: भूपेश सरकार में मांग लंबित, कमलनाथ सरकार ने खुद मंगाया प्रस्ताव

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  • मप्र सरकार ने वन विभाग से मंगाया वनकर्मियों को 13 माह की सैलरी देने का प्रस्ताव

भोपाल/रायपुर/नवप्रदेश। छत्तीसगढ़ (chhattisgarh) व मध्य प्रदेश (madhya pradesh) में लंबे समय से वनकर्मियों (vankarmi) द्वारा 13 माह के वेतन (salary) की मांग (demand) की जा रही है। जो अब मध्य प्रदेश में पूरी होने जा रही है। वहां वनकर्मियों को पुलिस विभाग के आरक्षकों की तरह ही साल भर में एक माह की अतिरिक्ति सैलरी मिलने का रास्ता साफ हो गया है।

दरअसल मध्य प्रदेश (madhya pradesh) की कांग्रेस सरकार ने ही अपने वचनपत्र के अनुरूप वन विभाग को इससे संबंधित प्रस्ताव भेजने को कहा है। वन विभाग ने यह प्रस्ताव सरकार को भेज दिया, जिस पर वित्त विभाग अध्ययन कर रहा है। सूत्रों के मुताबिक इस प्रस्ताव पर सरकार की सैद्धांतिक सहमति बन गई है।

वहीं छत्तीसगढ़ (chhattisgarh) के वनकर्मी अब भी यह मांग पूरी होने की बांट जोह रहे हैं। छत्तीसगढ़ के वन कर्मचारी संघ के नेताओं की मानें तो यहां भी वन विभाग की ओर से वर्ष 2018 में और इस वर्ष भी 13 माह की सैलरी को लेकर प्रस्ताव भेजा चुका है, लेकिन वित्त विभाग ने इसे खारिज कर दिया। वहीं मध्य प्रदेश में
प्रस्ताव स्वीकृत होने पर इसका लाभ वहां के 20670 वनकर्मियों को मिलेगा।

मध्य प्रदेश (madhya pradesh) के वन कर्मचारी संघ के नेताओं की मानें तो 13 माह की सैलरी की मांग दोनों राज्यों के अलग होने के पहले (वर्ष 1981) से की जा रही है। 1981 में ही मध्य प्रदेश वन कर्मचारी संघ की स्थापना हुई थी। वहीं छत्तीसगढ़ (chhattisgarh) के अलग होने के बाद यहां भी इस मांग को लेकर वनकर्मियों की ओर से हड़ताल की जा चुकी हैं। गौरतलब है कि मध्य प्रदेश सरकार पुलिस आरक्षकों को 1987 से 13 माह की सैलरी दे रही है।

मप्र में मांग के पीछे दलीलें व पूरा होने के कारण

मध्य प्रदेश के वनकर्मी वर्षों से पुलिस के समान साल में एक माह केे अतिरिक्त वेतन की मांग कर रहे हैं। इसके पीछे उनकी दलील है कि पुलिस के समान वे भी पूरे समय फील्ड में तैनात रहते हैं। उनका यह भी कहना है कि पुलिसवालों की तरह उन्हें भी छुट्टियां नहीं मिलतीं, ऐसे में उन्हें भी एक माह का अतिरिक्त वेतन दिया जाना चाहिए। मप्र में पुलिस आरक्षकों को पौस्टिक भत्ता भी मिलता है। वनकर्मियों ने इसकी भी मांग की है।

कांग्रेस ने किया था वादा

खास बात यह है कि मध्य प्रदेश विधानसभा चुनाव के दौरान कांग्रेस ने सरकार बनने पर वनकर्मियों को 13 माह का वेतन देने का वादा किया था। कांग्रेस ने इसे अपने घोषणा पत्र में भी शामिल किया था। जिसे सरकार बनने के करीब आठ माह बाद अब पूरा किया जा रहा है।

बात अपनी-अपनी

छत्तीसगढ़ में वनकर्मी वर्ष 2010-11 से 13 माह की सैलरी की मांग कर रहे है। पूर्ववर्ती सरकार के दौरान इस संबंध के प्रस्ताव वन विभाग की ओर से भेजे गए। लेकिन वित्त विभाग ने अस्वीकृत कर दिया। अब नई सरकार के दौरान भी दो-तीन माह पहले भी ऐसा एक प्रस्ताव सरकार को भेजा गया है। सरकार को इस पर गंभीरता से विचार करना चाहिए, क्योंकि पुलिस कर्मियों की तुलना में वन कर्मियों को अधिक चनौतियों का सामना करना पड़ता है।
-सतीश मिश्रा, प्रांताध्यक्ष, छत्तीसगढ़ वन कर्मचारी संघ

 

वन कर्मचारी संगठन की छत्तीसगढ़ में दूसरी मांगें हैं। अभी यहां मध्य प्रदेश की तरह 13 माह की सैलरी की मांग नहीं की गई है। यदि ऐसी कोई मांग की जाती है तो सरकार उस पर विचार करेगी।

-जेएस महाशाक्य, सचिव, वन विभाग, छत्तीसगढ़ शासन

मध्य प्रदेश में कांग्रेस ने अपने घोषणा पत्र में जो वादा किया था, उसे पूरा करने की प्रक्रिया शुरू हो चुकी है। खुद सरकार ने वनकर्मियों को 13 माह की सैलरी देने संबंधी प्रस्ताव मंगाया है। जो वनविभाग ने सौंप दिया है। निश्चित है कि मध्य प्रदेश में वनकर्मियों को 13 माह की सैलरी मिलेगी।
-निर्मल कुमार तिवारी, प्रांताध्यक्ष, मप्र वन कर्मचारी संघ, भोपाल

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