BIG BREAKING : अयोध्या विवाद में आया नया मोड़, अब निर्मोही अखाड़ा ने कहा |

BIG BREAKING : अयोध्या विवाद में आया नया मोड़, अब निर्मोही अखाड़ा ने कहा

A new turning point in Ayodhya dispute, now Nirmohi Arena said

A new turning point in Ayodhya dispute, now Nirmohi Arena said

नई दिल्ली। अयोध्या विवाद Ayodhya dispute पर आज से सुप्रीम कोर्ट supreme court में रोजाना सुनवाई करना शुरू हो गया है। राम जन्मभूमि और बाबरी मस्जिद भूमि विवाद में सुप्रीम कोर्ट supreme court में चल रही सुनावई में निर्मोही अखाड़ा के वकील ने पक्ष रखते हुए कि 100 सालों से यह विवादित जमीन पर कब्जा रहा है। यह जमीन निर्मोही अखाड़ा की है।

आपको बता दें कि इससे पहले अयोध्या मामले Ayodhya dispute में मध्यस्थता असफल होने के बाद सुप्रीम कोर्ट supreme court ने आज से रोजाना सुनवाई करने का फैसला किया है। बता दें कि चीफ जस्टिस रंजन गोगोई की अध्यक्षता वाली 5 सदस्यीय संवैधानिक पीठ इस मामले की सुनवाई कर रही है। इस संवैधानिक पीठ में जस्टिस एस. ए. बोबडे, जस्टिस डी. वाई. चंद्रचूड़, जस्टिस अशोक भूषण और जस्टिस एस. ए. नजीर भी शामिल हैं।

निर्मोही अखाड़े की दलील

निर्मोही अखाड़ा के वकील सुशील कुमार जैन ने शीर्ष अदालत के सामने पक्ष रखा। अखाड़ा ने दलील दी कि उसका इस जमीन पर सैकड़ों सालों से हक था। वकील ने इस अहाते पर मालिकाना हक का दावा किया। शीर्ष अदालत को वकील ने नक्शा दिखाते हुए कहा कि उनका सूट विवादत परिसर के अंदरूनी हिस्से को लेकर है।

उन्होंने दलील दी, ‘इसपर पहले हमारा कब्जा था। बाद में दूसरे ने बलपूर्वक कब्जे में ले लिया। इस जमीन पर हमारा 100 साल से कब्जा था। यह जगह राम जन्मस्थान के नाम से जानी जाती है। यह पहले निर्मोही अखाड़े के कब्जे में थी।

निर्मोही अखाड़ा के वकील ने कहा, ‘मेरी मांग केवल विवादित जमीन के आंतरिक हिस्से को लेकर है, जिसमे सीता रसोई और भंडार गृह भी शामिल है। ये सभी हमारे कब्जे में रहे हैं। वहां पर उन्होंने हिंदुओं को पूजा पाठ की अनुमति दे रखी है। दिसंबर 1992 के बाद उक्त जगह पर उत्पातियों ने निर्मोही अखाड़ा का मंदिर भी तोड़ दिया था। निर्मोही अखाड़ा कोर्ट में कहा कि निर्मोही अखाड़ा 19-3-1949 से रजिस्टर्ड है। झांसी की लड़ाई के बाद ‘झांसी की रानी की रक्षा ग्वालियर में निर्मोही अखाड़ा ने की थी।

मुस्लिम नहीं पढ़ते हैं नमाज

निर्मोही अखाड़े की ओर से पेश वकील सुशील जैन अपनी दलीलों में उन पुराने फैसलों का हवाला दिया, जिनके मुताबिक किसी ऐसी जगह को मस्जिद करार नहीं दिया जा सकता, अगर वहां पर नमाज नहीं पढ़ी जा रही हो। निर्मोही अखाड़े की ओर से वकील सुशील जैन ने दावा किया कि विवादित जमीन पर मुस्लिमों ने 1934 से पांचों वक्त नमाज पढऩा बंद कर दिया था। 16 दिसंबर 1949 के बाद तो जुमे की नमाज पढऩा भी बंद हो गया। 22-23 दिसंबर 1949 को वहां अंदर मूर्तियां रखी गई।

लाइव स्ट्रीमिंग की मांग ठुकराई

राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के विचारक के एन गोविंदाचार्य की अयोध्या विवाद मामले की लाइव स्ट्रीमिंग की मांग वाली याचिका को सुप्रीम कोर्ट ने खारिज कर दी। गोविंदाचार्य ने अयोध्या केस की आगामी सुनवाई की लाइव स्ट्रीमिंग कराने की मांग की थी। चीफ जस्टिस रंजन गोगोई ने उनकी इस मांग को खारिज कर दिया।

सुन्नी वक्फ बोर्ड के वकील को कोर्ट की फटकार

सुन्नी वक्फ बोर्ड के वकील राजीव धवन को सुप्रीम कोर्ट ने बीच में हस्तक्षेप करने पर लगाई फटकार लगाई। बेंच ने कहा कि कोर्ट कि मर्यादा का ख्याल रखे, चीफ जस्टिस गोगोई ने कहा कोर्ट आपका पक्ष भी सुनेगा।

JOIN OUR WHATS APP GROUP

डाउनलोड करने के लिए यहाँ क्लिक करें

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *